अंजनीगर्भ संभूत कपीन्द्र सचिवोत्तम । बावन भैरूं चौसठ जोगिन, उसटा चक्र चलावै वाणी : अवगड़ का चेला, फिरूँ अकेला, कभी न शीश नवाऊंगा प्रस्तुत मन्त्र को गुरुगोरखनाथ के सिद्ध स्थान में बैठकर अथवा रूद्रदेव के मन्दिर में बैठ एक हजार बार करना चाहिए। अथवा देवी मन्दिर में बैठकर भी https://vashikaran29493.blogsvirals.com/31620319/the-greatest-guide-to-most-powerful-sarv-karya-sidh-shabar-mantra-karya-siddhi-shabar-mantra-most-powerful-shabar-mantra